हादसे
रक्तरंगी हादसों ने काम ये किया।
शारदा की साधना में रंग भर दिया॥
आसमाँ की चाह थी ना आसमाँ मिला।
.भूमि पर भी चैन मुझे लेने ना दिया॥
सात फेरे भूख से है प्यास से लीव ईन।
वक्त ने दो पाट को बीवी बना दिया॥
स्वप्नमाला से लदा मैं ले गया बारात।
एन मौके प्यार ने 'हाँ' को भुला दिया॥
बावफा ने बेवफा की अर्ज की कबूल।
बेवफाई का मुगट खुद ही पहन लिया॥
खोजता हूँ आज भी गम के किनारे को।
आस-तट कोई मुझे दिखाई ना दिया॥
सोचता हूँ मैं सदा तन्हाई में ये बात।
पीर ने क्या चित्त से सबकुछ मिटा दिया॥
लेटकर अपनी चिता पे गुनगुनाता हूँ।
आज मैंने मौत को दुल्हन बना दिया॥
पूजता है जिन्दगी की आँच को 'कुमार'।
स्वर्ण को निखार के कुंदन बना दिया॥
कुमार अमदावादीSee More
रक्तरंगी हादसों ने काम ये किया।
शारदा की साधना में रंग भर दिया॥
आसमाँ की चाह थी ना आसमाँ मिला।
.भूमि पर भी चैन मुझे लेने ना दिया॥
सात फेरे भूख से है प्यास से लीव ईन।
वक्त ने दो पाट को बीवी बना दिया॥
स्वप्नमाला से लदा मैं ले गया बारात।
एन मौके प्यार ने 'हाँ' को भुला दिया॥
बावफा ने बेवफा की अर्ज की कबूल।
बेवफाई का मुगट खुद ही पहन लिया॥
खोजता हूँ आज भी गम के किनारे को।
आस-तट कोई मुझे दिखाई ना दिया॥
सोचता हूँ मैं सदा तन्हाई में ये बात।
पीर ने क्या चित्त से सबकुछ मिटा दिया॥
लेटकर अपनी चिता पे गुनगुनाता हूँ।
आज मैंने मौत को दुल्हन बना दिया॥
पूजता है जिन्दगी की आँच को 'कुमार'।
स्वर्ण को निखार के कुंदन बना दिया॥
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