મંગળવાર, 1 નવેમ્બર, 2011

ऋण स्वीकार

        मैं फेसबुक़ के मित्रों का ऋण स्वीकार करता हूँ। करीब तीन महीने पहले जब मैं गहरे सदमे में था मैंने FB की दुनिया में प्रवेश किया था। तब परिवार के ३४ वर्षीय सदस्य का आकस्मिक निधन हुआ था पूरा परिवार सकते में था। उस समय अगर उन्हीं पुराने मित्रों परिवारजनों या समाजजनों के पास जाता तो जाहिर है वही पुरानी बातें दोहराई जाती जो घाव को भरने न देती।
मैं स्वभाव से कवि प्रकृति का व्यक्ति हूँ जो... हमेशा कल्पना के नए आयाम की खोज मे रहता है।मैंने नई दुनिया व नये मित्रों की खोज में FB की दुनिया में प्रवेश किया। चूँ कि बीस साल से लिख रहा हूँ पोस्ट करने के लिये मेरे पास कई रचनाएँ थी। धीरे धीरे दोस्त मिलते गए मित्रवृंद बढ़ता गया।घाव भरा तो नहीं पर घाव से ध्यान जरूर हट गया।गहरे घाव कभी मिटते नहीं हाँ ध्यान हट सकता है और हटाना भी चाहिए वर्ना वो नासूर बन जाता है।
अन्जाने मेँ ही सही पर FB के मित्रों ने ईस कार्य में मेरी मदद की है मैं उन का आभारी हूँ। यहाँ मैं कुछ मित्रों के नाम खासतौर से लेना चाहता हूँ जिन्होंने निरंतर मेरी रचनाओं को सराहकर या टिप्पणी से मेरा हौसला बढ़ाया है। अमित मनहरलाल कोठारी कायला विकास रवि एट लास्ट सुमेधा कक्कड निकेता व्यास संगीता शाह राहुल मेर जिगर मेवाडा ओशो आभा दिव्याकुमार अस्तित्व चित्रांश अनिल वर्मा गीता पांडे राजीव मारु भवानी गुप्ता धर्मेश गज्जर रेखा पटेल अल्पेश शाह निखिल रसकपूरवाला जगजीत नागराज परेश ध्रुवा जेलिस बोबी राजेश देसाई अश्विन राणपुरा चिराग शाह और जो मुझ FB की दुनिया में लाया वो मेरा प्यारा भतीजा पुखराज सोनी का मैं खासतौर से आभारी हूँ।

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