રવિવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2012

दरवाजे की गति

मैं दस मंजिला  टावर की दसवीं मंजिल पर रहता हूँ। टावर में पुराने फेशन की लोहे के जालीदार दरवाजोंवाली लिफ्ट है। उस में जालीवाले दो दरवाजे होते हैं। एकबार राजस्थान के एकदम छोटे से गाँव से मेरे एक रिश्तेदार मिलने आये थे। वे ड्रोइंग-रूम में बैठे बैठे बात करते हुए बार बार लिफ्ट की ओर देख रहे थे। उन के चेहरे पर उत्सुकता के भाव थे। मैंने उन से पूछा "क्या बात है कोई परेशानी है क्या?" वे थोड़े से हिचकते हुए बोले "यार, मैंने एकदम नीचे के मजले पर लिफ्ट में प्रवेश करके पहले बाहर की जाली बंद की फिर अन्दर की जाली बंद की, जब लिफ्ट रवाना हुई बाहर की जाली वहीं की वहीं थी। मगर जब मैं दसवीं मंजिल पहुंचा तब मुज से पहले वो जाली दसवीं मंजिल पहुँच चुकी थी। ऐसा कैसे हुआ ये मेरी समज में नहीं आ रहा है?                                                                                                                                कुमार एहमदाबादी

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