રવિવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2012

रोशनी

                                   तमाम उम्र जली शम्अ रोशनी के लिये
                            अंधेरा फिर भी हकीकत रहा सभी के लिये
                                                               अक्स लखनवी
           मात्रिक छन्द (लगाल गाललगा गालगाल गागागा) में लिखे गये शेर में शायर ने कठोर वास्तविकता पेश की है। विश्व को रोशन करने के लिये 'सूरज' युगों युगों से अपना कर्तव्य निभा रहा है। मगर फिर भी 'निशा' का अस्तित्व है।
          अषो जरथुष्ट्र, महावीर स्वामी, ईसा मसीह, हजरत मुहंमद, भगवान बुद्ध, गुरु नानक, ओशो तथा अन्य कई महामानवों ने युगों युगों से ज्ञान के दीपक को प्रज्वलित कर रखा है। मगर आज तक मानव के मन में से अज्ञान रुपी अंधकार दूर नहीं हुआ है। आज भी मानव के मन में अंधश्रद्धा व अज्ञान के अँधेरे का अस्तित्व है। जीवन की इस कठोर वास्तविकता को शायर अक्स लखनवी ने सरल शब्दों में पेश की है।

          गुजराती अखबार 'जयहिन्द' में मेरी कोलम 'अर्ज करते हैं' में ता.22।08।2010 के दिन छपे लेख के अंश का हिन्दी अनुवाद।
कुमार अमदावादी

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