રવિવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2012

सहारा

यादों का सहारा न होता                            
हमारा गुजारा न होता

विरह रण में, विचरण के सिवा
क्यों दूजा? किनारा न होता!

शिखर' मिलता है, एक ही बार
वो मिलन, दुबारा न होता
'वो' गर चाहता, आईने का;
मैं भी क्या: दुलारा न होता!
 

न लगती तुझे, प्यार में चोट
तो तू, कवि-सितारा न होता
कुमार अहमदाबादी

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