રવિવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2012

वेलेन्टाईन को श्रद्धांजली

दिल मेरा हो जाता है तन्हा
पैमाने खाली करने के बाद
चंद मोती टपकते हैं प्याले में
सनम की याद आने के बाद

प्याले में मदिरा नहीं है फिर
छलका क्यों नजर आ रहा है
शायद सपनों का खंडहर मुझे
ईस प्याले में नजर आ रहा है

जीवन के आखरी पल तक
सांसों में उस की याद रहेगी
किस्मत ने क्यों बेवफाई की
होठों पे ये फरियाद रहेगी

पीना चाहता हूँ
जब मैं शराब
प्याले में सनम
नजर आ जाती है
हाथ रुक जाता है
प्याला छलक जाता है
फिर, शराब नहीं
आँसु पीने में मजा आता है

दिल में जो आग लगी है
सनम के बिछड जाने से
क्या बुझ जायेगी वो आग
पैमाने बेतहाशा पी जाने से

दिल के दर्द से सीना
फट जाये चाहता हूँ मैं
ईसलिए अब शराब से
ईतना प्यार करता हूँ मैं

शीशे के प्याले से पीने का
मजा ही कुछ और है यारों
हमें ये पता चलता रहता है
कितना दर्द पी चुके हैं यारों

एकांत में तडपने में
क्या लुत्फ है आप क्या जाने
ज़ख्मों को सहलाने में
क्या लुत्फ़ है आप क्या जाने
रोना पड़ता सनम की चिता पर
तो जरूर ये कह उठते आप कि
दर्द क्या होता है आप क्या जाने

कुमार अहमदाबादी

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