कडवी पर बात ये यकीनी है।
भाग्यरेखा बड़ी कमीनी है॥
थाली कैसी परोसी है रब ने!?
रोटी है ना नमक, न चीनी है॥
नीतियाँ कैसी हो रही निर्मीत।
सब हवा में, न कुछ जमीनी है॥
माली के कंधे, फूल की अर्थी:
आँसु सूखे हैं; आँख भीनी है॥
प्यास ऐसी लगी है; साबर जो,
चित्र में है : हमें वो पानी है॥
हावी है हम बनानेवाले पर।
जिन्दगी हम सी है; मशीनी है॥
कब बिखर जाए, तार नाजुक है।
मान ईज्जत की शाल, झीनी है॥
भाग्यरेखा बड़ी कमीनी है॥
थाली कैसी परोसी है रब ने!?
रोटी है ना नमक, न चीनी है॥
नीतियाँ कैसी हो रही निर्मीत।
सब हवा में, न कुछ जमीनी है॥
माली के कंधे, फूल की अर्थी:
आँसु सूखे हैं; आँख भीनी है॥
प्यास ऐसी लगी है; साबर जो,
चित्र में है : हमें वो पानी है॥
हावी है हम बनानेवाले पर।
जिन्दगी हम सी है; मशीनी है॥
कब बिखर जाए, तार नाजुक है।
मान ईज्जत की शाल, झीनी है॥
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો