બુધવાર, 28 સપ્ટેમ્બર, 2011

बाँसुरी

राधिका सा प्रेम कान्हा से करे ये बाँसुरी
चूमे अधरों को किसी से ना डरे ये बाँसुरी

न बना है ना बनेगा मीठा इस मकरंद सा
बाँस से सरगम सुधा बन के झरे ये बाँसुरी

खामियों को जो बनाएँ  खूबियाँ  योद्धा है वो
बात सच सौ  फीसदी साबित करे ये बाँसुरी

साथी बन जाती है ये एकांत में चाहो अगर
एक पल में मन का सूनापन भरे ये बाँसुरी
कुमार अहमदाबादी

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