શનિવાર, 1 ઑક્ટોબર, 2011

प्रेम का दीप

प्रेम का दीप सनम दिल में जलाए रखना।
रोशनी  पीता रहूँ   प्यास  जगाए  रखना॥

शाम का सूर्य ख़ज़ाना लुटा देगा तुज पर।
देह  के  गाँव  में  बेटे  को बसाए  रखना॥

बाज़  से पंख  से ही  नाप सकोगे  नभ को।
कोषिकाओं की तू मजबूती बढाए  रखना॥

सुन, सफल होने का है सब से सरल रास्ता ये।
धीरे  धीरे  ही  सही  पांव  चलाए  रखना॥

फूल  होकर  बड़े  इस  बाग़  में  ही  खेलेंगे।
पुस्तकालय को किताबों से सजाए रखना॥

जुल्मी जलयान का साम्राज्य मिटने के लिए।
सत्य  के  नाव  से  तीरों  को चलाये रखना॥

दीप  खतरे  में  है  गहरा रही  काली आँधी।
हिंद  के  दुश्मनों  पे  आँख  गडाए  रखना॥
क्रोध, आक्रोश ,जलन, द्वेष है ज़हरीले बीज।
खेत  की मिट्टी को तू  इन से बचाए रखना॥
                                     कुमार अमदावादी

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