ગુરુવાર, 6 ઑક્ટોબર, 2011

झरोख़ा

झरोख़ा
मन के कोने में एक झरोखे से
भूली यादों ने झांका धोखे से
कसक उठी फिर पैमाने में
आँसु न रुके हमारे रोके से

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