मछली को तड़पते
देखा है कभी
बदली को सुखते
देखा है कभी
न देखा हो , तो
मुझे देख लो
पल पल मेरी
प्यास बढ़ रही है
साँस घट
रही है
लगता है, मैं
मैं नहीं
मरुधर की,
गर्म रेत हूँ
जो बस, तपती है
रात ठंडी होती है
मगर, ठंडक
बाहरी होती है
भीतर तो लावा
उबलता रहता है
रेगिस्तान में
मीलों तक
सन्नाटा होता है
जैसे मेरे जीवन में है
औ.......र
रेगिस्तान में
बदली कभी
बरसती नहीं
हरियाली कभी
खिलती नहीं
गगरी कभी
फूटती नहीं
मगर मै,
छलकना चाहती हूँ
छलककर
फूटना चाहती हूँ
सांसो के सागर में
डूबना चाहती हूँ
मेघ-धनुष, क्या होता है?
कैसा होता है?
कैसे होता है?
जानना चाहती हूँ
मेघ-धनुषी एहसास
पीना चाहती हूँ
मगर.........मुझे
मेघ-धनुष की रंगीनियों को
प्यार की मदिरा में
घोलकर पिलानेवाला
साजन कहाँ है
कहाँ है कहाँ है कहाँ है
कहाँ है.................
[कुमार अमदावादी]
देखा है कभी
बदली को सुखते
देखा है कभी
न देखा हो , तो
मुझे देख लो
पल पल मेरी
प्यास बढ़ रही है
साँस घट
रही है
लगता है, मैं
मैं नहीं
मरुधर की,
गर्म रेत हूँ
जो बस, तपती है
रात ठंडी होती है
मगर, ठंडक
बाहरी होती है
भीतर तो लावा
उबलता रहता है
रेगिस्तान में
मीलों तक
सन्नाटा होता है
जैसे मेरे जीवन में है
औ.......र
रेगिस्तान में
बदली कभी
बरसती नहीं
हरियाली कभी
खिलती नहीं
गगरी कभी
फूटती नहीं
मगर मै,
छलकना चाहती हूँ
छलककर
फूटना चाहती हूँ
सांसो के सागर में
डूबना चाहती हूँ
मेघ-धनुष, क्या होता है?
कैसा होता है?
कैसे होता है?
जानना चाहती हूँ
मेघ-धनुषी एहसास
पीना चाहती हूँ
मगर.........मुझे
मेघ-धनुष की रंगीनियों को
प्यार की मदिरा में
घोलकर पिलानेवाला
साजन कहाँ है
कहाँ है कहाँ है कहाँ है
कहाँ है.................
[कुमार अमदावादी]
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