ગુરુવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2011

बेवफा बूँदे

बूँद बूँद है बेवफा, छोटे से इस पैमाने की।
पैमाना है छोटा सा पर असर है इस मेँ मयखाने की॥
मैं ना जान पाया जिस को, भेट है उस अनजाने की।
अनजाने की दीवाने को सजा वफा को अपनाने की॥
घूंट घूंट में याद करुंगा,गुजरे पल व गुजरा ज़माना।
पैमाने में देखा करुंगा, खंड....हर सा इक अफसाना॥
कभी न खाली हो पैमाना, वक्त से ये दुआ करुंगा।
गर ये खाली हो गया तो खुद से कैसे मिला करुंगा॥ कुमार अमदावादी

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