મંગળવાર, 25 ઑક્ટોબર, 2011

चिता


सुबह होती है शाम होती है
जिंदगी यूँ ही तमाम होती है
सूरज आता है चाँद जाता है
होश आए, तो चिता तैयार होती है
कुमार अमदावादी

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