શનિવાર, 3 ડિસેમ્બર, 2011

क्या हुआ

हेम हूँ तो क्या हुआ तपना पड़ेगा,
हार बनने के लिए गलना पड़ेगा.

संग को गर मोल अपना है बढ़ाना.
रूप मूरत का उसे धरना पड़ेगा.
...
नार नखरेदार हूँ मैं,पी न माने,
मन लुभाने के लिए सजना पड़ेगा.

भोर शीतल, शाम शीतल ,मध्य कैसा,
दोपहर में भानु की तरह तपना पड़ेगा.

जिन्दगी ये हर घडी लेगी परीक्षा ,
जो न दे उस को सदा मरना पड़ेगा.
कुमार अमदावादी

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