શનિવાર, 3 ડિસેમ્બર, 2011

पगला मन

पल पल पगला मन सतरंगी सपने बुनता है।
सुंदर पौधा आशा की क्यारी में खिलता है॥
क्यारियों को निश दिन नित श्रम का पानी देने से।
घर-आँगन में खुशीयों का उपवन खिलता है॥
कुमार अमदावा

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