शब्दकारी
नजर मेरी जिस जिस पन्ने पर फिरती है
हर शब्द हर वाक्य से अश्रुबूंद झरती है..नजर
सुहानी पलें नजर के समक्ष तैरती है
कल को आज मानूं आरजू कहती है
कैसे समजाउँ गुजरी कहाँ लौटती है
दर्द के मूल से कहानी जन्म लेती है..नजर
घायल यादों का तीर जब भी चुभता है
सूखे घावों से अब भी खून झरता है
नादानों के अलावा प्यार कौन करता है
नसीब के आगे हर कोई पानी भरता है..नजर
चंद पन्नोँ पर ही ईकरार लिखा गया है
बाकी के पन्नों पर प्यार को ठगा गया है
ठगे प्यार को ही शब्दों में ढाला गया है
ईसीलिये 'कुमार' को जिंदा रखा गया है..नजर
कुमार अमदावादी
नजर मेरी जिस जिस पन्ने पर फिरती है
हर शब्द हर वाक्य से अश्रुबूंद झरती है..नजर
सुहानी पलें नजर के समक्ष तैरती है
कल को आज मानूं आरजू कहती है
कैसे समजाउँ गुजरी कहाँ लौटती है
दर्द के मूल से कहानी जन्म लेती है..नजर
घायल यादों का तीर जब भी चुभता है
सूखे घावों से अब भी खून झरता है
नादानों के अलावा प्यार कौन करता है
नसीब के आगे हर कोई पानी भरता है..नजर
चंद पन्नोँ पर ही ईकरार लिखा गया है
बाकी के पन्नों पर प्यार को ठगा गया है
ठगे प्यार को ही शब्दों में ढाला गया है
ईसीलिये 'कुमार' को जिंदा रखा गया है..नजर
कुमार अमदावादी
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