नजर नजर में मुलाकात से
चमन गगन में चली बात ये
गुल गुलशन के लगे जागने
नटखट रहते सदा बाँह में
गुनगुन करती हवा प्यार की
छमछम करती अदा यार की
सजधज कर के चली सुंदरी
रुमझुम करती झुमी मालती
चरण शरम के लगे डोलने
शरण मदन की लगे सोचने
मन चितवन भी लगी झूमने
खनक खनक में लगी डूबने
चटक मटक से लगी आग जो
अंग मरदन से बढी आग वो
सरगम बनके बजे साज तो
पलभर बहती बही धार वो
सररर करती बही धार वो
जलथल करती बही धार वो
(अच्छा! आप गवाह हैं?)
निज दरशन है जवाँ रात का
पल दर पल की मुलाकात का
मधुर मिलन था जवाँ रात में
पल पल बहका जवाँ रात का
(सब के सामने कह दोगे?)
इधर उधर से बही बात में
नमक मिरच है मीठे भात में
(सार ये है कि...)
पवन वहन से पकी खिचडी
जलन दहन से पकी खिचडी
नजर नजर की मुलाकात को चमन गगन में मिला रुप ये
गुल गुलशन के लगे जागने
नटखट रहते सदा बाँह में
कुमार अमदावादी
चमन गगन में चली बात ये
गुल गुलशन के लगे जागने
नटखट रहते सदा बाँह में
गुनगुन करती हवा प्यार की
छमछम करती अदा यार की
सजधज कर के चली सुंदरी
रुमझुम करती झुमी मालती
चरण शरम के लगे डोलने
शरण मदन की लगे सोचने
मन चितवन भी लगी झूमने
खनक खनक में लगी डूबने
चटक मटक से लगी आग जो
अंग मरदन से बढी आग वो
सरगम बनके बजे साज तो
पलभर बहती बही धार वो
सररर करती बही धार वो
जलथल करती बही धार वो
(अच्छा! आप गवाह हैं?)
निज दरशन है जवाँ रात का
पल दर पल की मुलाकात का
मधुर मिलन था जवाँ रात में
पल पल बहका जवाँ रात का
(सब के सामने कह दोगे?)
इधर उधर से बही बात में
नमक मिरच है मीठे भात में
(सार ये है कि...)
पवन वहन से पकी खिचडी
जलन दहन से पकी खिचडी
नजर नजर की मुलाकात को चमन गगन में मिला रुप ये
गुल गुलशन के लगे जागने
नटखट रहते सदा बाँह में
कुमार अमदावादी
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