શનિવાર, 3 ડિસેમ્બર, 2011

गीत

जब भी बुलायेंगे गीत तेरे 
चला मैं आऊँगा मीत मेरे
कभी मैं आऊँगा बन के यादें
कभी मैं आंसु बन टपकूंगा
औ...र शबद की धारा बनके
कलम से स्याही बन के बहूंगा...जब

गंगा जमना बनके प्यारे
संगम में न मिल सके तो
बन के सावन भादो सजनी
बादल में हम बस जाएँगे
जीवन पथ पे चल के प्यारे
इक दूजे के हो न सके तो
बन के खुशबू फूलों की हम
फूलों में ही बस जाएँगे...जब

चहकेगी जब यादों की कोयल
सूर लहराएँगे जैसे पायल
इक इक घुंघरूं ये कहेगा
पूछो ना ये क्युं हैं घायल
बरसेगी घनघोर घटायें
रोयेगी शिव की जटायें
रो रो के वो ये कहेगी
पूछो ना क्युं रोये कोयल...जब
कुमार अमदावादी

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